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Monday, April 26, 2010

विदाई

कल रात देर रात तक जागा रहा ,
जाने कहा था में खोया रहा....
कही सवालों का लहर उठ रहा था मन में ,
जिन में में उलझ रहा था
दिल और दिमाग में उनबन  बढ़ रही थी
और जवाब का तलाश जारी रहा....
माथे पे पसीना और भीनी थी पल्खे
शायद इसिलए नींद ना आ रहा था
खामोश था समा पर मेरे अन्दर  शोर था ,
कॉप उठी साँसे और धडकनों पे जोर था .!
शायद थख गए सवालों के वार से ,
ऐसे में ना जाने कब मीच गयी आँखें,
पल भर के लिए लगा की सब कुछ सिमट गया ,
लेकिन नींद में एक सपना आके लिपट गया ,
ख्वाब में देखा उनका चेहरा
लेकिन दिखा उनपे शादी का सेहरा
शायद मुझ पे था बेरहमी का पेहरा
उनकी जोड़ी इतनी खूबसूरत थी की
मुझे भूल जाना तो  उनके लिए जायज था !
यह सोच कर ग़म से दिल में खून के बदले
आंसूं बहने लगे और आँखे उन्हें
आखरी बार देखने के लिए तरस के सूख गए थे !
उनकी विदाई ले रही थी मेरी जान की कही से माँ की आवाज़
आई और मेरी नींद  जागी !
तब मुझे एहसास हुआ की एक दिन का  सपना अगर मेरा हाल ऐसा करेगा
तोह हर दिन का हकीकत कैसे मुझ पे  वार करेगा और मेरी ज़िन्दगी दुष्वार करेगा?
दुआ करता हूँ की ऐसा सपना फिर ना आये 
अगर आना तय है तोह अछा है ज़िन्दगी भर मुझे नींद ना आये .!..........
Written by Sudhir.

Thursday, April 22, 2010

दर्द

आँखों में उनकी ही नमी है ,
मेरी ज़िन्दगी के हर पल में उनकी कमी है !
ऐसे बेकदर मोहब्बत से सिर्फ मुझे क्यों सजा दे रहे हो ?
चाहत जगाना ही था तोह दोनों तरफ जगाना था ...
कभी कभी ख़याल आता है की,
उन्हें मुझ से प्यार होता और में नज़र अंदाज़ करता
तब जाके मेरे दर्द का कम से कम एक कतरे का एहसास उन्हें होता
पर कैसे उनका बुरा में चाहू और मेरा ग़म उन्हें बांटू ?
वफ़ा के बदले वफ़ा ही मिले ,
ऐसा दर्द भरी सजा तो दुनिया  में किसी  को  ना मिले .....
Written by: sudhir

Saturday, April 17, 2010

Adorable beauty

పసిడి క్రాంతి తో నిండిన పగలు,
వెండి వెలుతురు తో నిండిన వెన్నెల కలిపిన   
తేజస్సు గల సన్నజాజి  నా సఖియా .
తనను తాకిన నీటి బిందువును సైతం                  
ముత్యమంత అందంగా కనిపించేలా చేసే మృదు స్వభావం,
కవ్వింపు కు  అర్థం తెలిపే చిరునామా తన కనులు ,
కారు మబ్బులను సైతం కనిపించకుండా కమ్మివేసే అందమైన  కురులు ,
కాలాన్ని సైతం కరిగించి కనుమరుగై పోయేలా చేసే
మధురమైన మాటలు వాటిలో ఎక్కడ  దొరకని ఆత్మీయత ,
తన చిరునవ్వు చూస్తే చింతలన్ని కూడా  సంతోషం తో చిందులేస్తాయి .
తను హంసలా హుందాగా నడిచి వస్తుంటే
హరివిల్లు విరిసి అందాన్ని వేదజల్లుతూ ,
సిరిమువ్వల సవ్వడి తో సందడి చేస్తున్నట్టు గుండెల్లో అలజడి
మొదలవుతుంది , కాని తన అడుగులు ,పయనం నా వైపు  
కాదని అనిపించగానే క్షణం లో అంతా కలై కన్నీళ్ళలో కరిగి జారిపోతుంది....
Written by :- Sudhir

Saturday, April 10, 2010

जाने क्यों

जाने क्यों खुद से खफा खफा रहता हूँ ,
भरी महफ़िल से जुदा जुदा रहता हूँ !
अब तो लगता है आदत सी होगई
आप कि यादो में खो जाना ,
कि भीढ़ से ज्यादा सूनापन हमे भाति है !
आप के ख्वाबो खयालो से दिल में ऐसी
लहर उठती है जैसे बस पल भर के लिए सागर किनारे को साहिल टकराके भीगने कि ख़ुशी का एहसास होने से पहले भीना सूना छोड़ जाती है !
शायद इसलिए खुशियों के कलियों के महक से ज्यादा गम के गलियों से गुजरना अच्छा लगता है !
क्यों कि खुशिया हसी के साथ कम हो जाती है , लेकिन ग़म दिल कि गहराईयों में बस के हमसफ़र बनके
उनके एहमियत का मीठा एहसास हमेशा देती है !
अब तो जिंदगी में एक आस के सिवा कुछ ना बचा कि ,
इन अँधेरी राहों में कभी ना कभी चांदनी के रौशनी से भरी एक दिशा दिख जाए जो उन्हें हमारी मंजिल बना दे !।
Written by: Sudhir