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Friday, December 31, 2010

Aakhri safar (last poem)

यह सूनी काली रात ,
खाली मेरे हाथ !
भीनी पल्खों का साज ,
ज़िन्दगी एक सजा बनगई ,
प्यार उसकी वज़ह बन गयी!

खामोश है मेरी साँसे
आवाज़ बनी तेरी आहट ,
पर दिल में अटकी बात
बन गयी है  मेरी रुकावट !

तेरी राह में थकी मेरी निगाहें
सपने बनी पल्खों की सजावट .
पर ख्वाब ना बन सके हकीकत
फिर भी तू ना हुई मेरे दिल से रुक्सत !

तुम ने मुझे हाथ ना दिया,
किस्मत मेरा साथ ना दिया !
मेरी ज़िन्दगी तोह  टूट रहा है ,
पर यादों का बैसाखी सहारा दे रहा है!
क्या करें पहले प्यार करना नहीं जानता था पर अब भुलाना नहीं जानता !
अब तक ज़िन्दगी जी रहा था अब से बस बिताना है...

Written By : Sudhir