भगवान् तू ने ये बेरेहेम भूख क्यों दी?
सुखा पेट, सूखी रोटी के लिए ज़िन्दगी कितना मजबूर कर रहा है,
और रूखी साँसों से सूखा गला बूँद पानी केलिए तरस रहा है ,
पर आज आज़ादी के आस और आरजूओं को सीच कर भारत माँ को
विनती का हार पहना रहे है !
स्वतंत्रता तो बस नाम का है पर जहा भी देखूं देश भर में बेबसी के दायरे है...
कही कोई बच्छा खेलते हुए आके खाली थाली में भरे पानी पर ,
छत के छेद से गिरे चाँद का प्रतिबिम्भ को निवाला समझ कर मुट्टी भरने का प्रयास करता है
पर चाँद को पानी में बिखरता देख तड़पता रह जाता है ..! और माँ अपने दिल को पत्थर बनाके ,
बच्चे की तसल्ली केलिए पत्थर को उबालती है और सीजने की इंतज़ार में उसे भूखा सुलाती है....
और कोई कोने में भूख की मजबूरी से कोई महिला मजदूरी के लिए
अपने बच्चे को धुप में सुलाके काम करती है , बचे की भूख मिटाने के लिए जब वो अपने सीने से लगाती है तो
खाली पेट की वजह से छाती से दूध के बदले आँखों से आंसूं निकलते है....
यहाँ आजादी से जादा आबादी है,
आमदानी से जादा मेहेंगाई है ,
फिर भी तरक्की की आशा कम भूख जादा है!
जीहाद के आड़ में आतंक की भूख ,
चाहत की आड़ में हवस की भूख,
हालातों के आड़ में रिश्वत की भूख
जितना भी धन हो फिर भी अमीरी के आड़ में लालज की भूख !
इस तरह कोई भूख की वजह से मर रहा है ,
तो कोई भूख की वजह से मार रहा है,
कोई भूख की वजह से अपनी ज़मीन बेच रहा है,
तो कोई भूख की वजह से अपनी ज़मीर बेच रहा है...
1947 में आजादी के नेता लोगो को स्वतंत्रता दिए थे ,
आज के नेता तो ब्रष्ठाचार को स्वतंत्रता दे रहे है..
भूखी ज़िन्दगी से लोग इतना सुलग रहे है..,
पर पकाने के लिए दो दाने नहीं है..
काश पेट के भूख के बदले नेक विचारों ,
और उच्च खयालो के लिए दिमाग का भूख लोगों में
होता तो शायद दुनिया में भूख ही ना होता !
लाचार ज़िन्दगीयो पे आज तिरंगा लहरा रहा है ,
और भूख के चुंगुल में फसे लोगों के चीखो के बीच आज स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है
मुझे उस दिन का इंतज़ार है जब लोग तिरंगे लहराने वाले नेताओं का कमीज़ पकड़ के
अपना स्वतंत्रता हासिल कर के खुद अमन का झंडा लहराए !
यह तभी मुमकिन है जब ,
लोग अपनी खुदगर्जी से आज़ादी पाये
और देश और दूसरों के भलाई सोचे और एक दुसरे का सहारा बनके जीने लगे...
और इस उम्मीद में आप सभ को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर शुभकामनाये देता हूँ
आप का सुधीर ...
Wish you all A Happy Independence Day
Written By :Sudhir
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यह तभी मुमकिन है जब ,
ReplyDeleteलोग अपनी खुदगर्जी से आज़ादी पाये
..यही नचोड़ है इस पोस्ट का.
गंभीर चिंतन ...आच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाएं