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Thursday, April 22, 2010

दर्द

आँखों में उनकी ही नमी है ,
मेरी ज़िन्दगी के हर पल में उनकी कमी है !
ऐसे बेकदर मोहब्बत से सिर्फ मुझे क्यों सजा दे रहे हो ?
चाहत जगाना ही था तोह दोनों तरफ जगाना था ...
कभी कभी ख़याल आता है की,
उन्हें मुझ से प्यार होता और में नज़र अंदाज़ करता
तब जाके मेरे दर्द का कम से कम एक कतरे का एहसास उन्हें होता
पर कैसे उनका बुरा में चाहू और मेरा ग़म उन्हें बांटू ?
वफ़ा के बदले वफ़ा ही मिले ,
ऐसा दर्द भरी सजा तो दुनिया  में किसी  को  ना मिले .....
Written by: sudhir

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