मेरे हर सांस और आहट में वोह शामिल है ,
दिल में उनकी यादों का महफ़िल है !
ज़िन्दगी एक सपने की तरह जिए जा रहा हूँ ,
की अपने अस्तित्व से खुद अजनबी बन गया हूँ !
दिल एक आईना बनगया जिस में हर वक़्त उनका
चेहरा दिख रहा था ...
उनको भूलने के लिए दिल को चूर कर दिया
फिर भी हर टुकड़े में उनका नूर पाया ...
खुशियों का पता भूल गया और
ग़म के राहों में गुमराह होगया !
अब तो अपने आप में खुद को खोज रहा हूँ
अगर मिल भी गया तो खुद को शायद तनहा पाउँगा
ऐसे में अपने आप को संभालू कैसे ?
अजीब है यह ज़िन्दगी जहा प्यार मेरा दुश्मन बनगया
और दर्द मुझ पे मेहरबान हो गया...
ऐसे में यह प्यार को टोकु कैसे और इस दर्द को रोकू कैसे ?
Written by :Sudhir
Sunday, May 16, 2010
Sunday, May 9, 2010
माँ my wishes to all mothers on mothers day
माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ ,माँ,
ममता का मूरत
प्यार की परछाई बनकर
मंदिर सी गोद में समेट कर
दुनिया की हर रुसवाई से बचाती है माँ !
बचपन में कहानी सुनाके सुलाती है ,
आसमान में चंदा दिखाकर खिलाती है !
हर जीत को मनाती है
दर्द को पहचान कर अप्नालेती है और
बाहों में लेकर दिलासा देती है !
ज़िन्दगी का महक उसकी आँचल में है ,
सादगी का मिसाल उसके आँखों में है !
कही अरमानो से हमें जनम देती है ,और सारे आरजुओं को भूल कर ,
हमारे खुशियों में उसकी खुशिया पाकर मचल जाती है !
और हमारे तकलीफ देख कर पिगल जाती है !
दुनिया में बस माँ है जो हमें एहसास दिलाती है की दुनिया में हम सब से बेहतर है!
और हमारे ज़िन्दगी के हर मोड़ पे दुनिया बनकर साथ देती है .....ज़िन्दगी की बरकत
करुणा का फितरत
महब्बत की इबादत
और हम साया बनके अपनी प्यार की छाव में हमें पनाह देती है ......
इसीलिए दुनिया में दो ही शब्द है जिनको पवित्र माना जाता है एक है ॐ और दूसरा है माँ ....
माँ,माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ, माँ माँ,
In memory of my granny I dedicate this poem to all the mothers on the auspious mothers day....
especially to my అమ్మ ....
Written by :Sudhir
Sunday, May 2, 2010
प्यार का पतंग
कोरा कागज़ बनके खोये हुए ऐसे ही पड़ा रहा था ,
गीला हो कर कही गिर ना जाए..........
Written by :Sudhir
तेरे प्यार के धागे बाँध ते ही पतंग बनके उड़ने लगा !
जान के भी अनजान बनके क्यों तेरे सपनो,
खयालो में ढील देता रहा ,
की लगाम में लाना मुश्किल हो गया !
चाहके भी मेरे चाहत के छर्के को
काबू करके संभाल ना सका
अब जहा भी देखू नामुमकिन की दिशायें है .
तेरे प्यार में मेरे दिल का धागा इतना नाज़ुक होगया है की डरता हूँ आंसूओं की आंधी से टूट के
ज़िन्दगी से तंग आ कर ये पतंग बेचैनी की बारिश मेंगीला हो कर कही गिर ना जाए..........
Written by :Sudhir
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