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Sunday, May 2, 2010

प्यार का पतंग

कोरा कागज़ बनके खोये हुए ऐसे ही पड़ा रहा था ,
तेरे प्यार के धागे बाँध ते ही पतंग बनके उड़ने लगा !
जान के भी अनजान बनके क्यों तेरे सपनो,
खयालो में ढील देता रहा ,
दीवानगी में इतना ऊँचा उड़ गया
की लगाम में लाना मुश्किल हो गया !
चाहके  भी मेरे चाहत के छर्के को
काबू करके संभाल ना सका
अब जहा भी देखू नामुमकिन की दिशायें है .
तेरे प्यार में मेरे दिल का धागा इतना नाज़ुक होगया है की   डरता हूँ आंसूओं की आंधी से टूट के
ज़िन्दगी से तंग आ कर ये पतंग बेचैनी की बारिश में
गीला  हो कर कही गिर ना जाए..........
Written by :Sudhir

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